Essay On Jungle Kyon Naraj Hai in Hindi
"प्राकृति ने मनुष्य को देने का सिखाया है। प्राकृति ने मनुष्य को विभिन्न संसाधनों और पृथ्वी पर रहने के लिए सुखमय जीवन बिताने की सभी सुविधाएं प्रदान की है।
लेकिन उसके बदले में, मनुष्य ने पृथ्वी के जीवन पर हमला किया है। आज हम मनुष्य पृथ्वी के संसाधनों का न केवल दुरुपयोग कर रहे हैं, बल्कि हम बिना किसी सीमा के पृथ्वी के सभी संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं।
मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जंगल काटना शुरू किया है, और प्रदूषण को ऐसे फैलाया है कि हम न केवल समस्याओं का सामना कर रहे हैं, बल्कि हमारी पृथ्वी भी इससे जूझ रही है।
आज पृथ्वी पर मौजूद वन्यजीव हम मनुष्य से बहुत खफा हैं। इस खफाई का कारण है मनुष्यों द्वारा पेड़ों की बेहद अविवेकपूर्ण कटाई।
बढ़ती जनसंख्या के कारण, हमने जंगलों को काटकर अपने लिए बड़े-बड़े घर, विला, और बंगलों का निर्माण किया है, लेकिन हम भूल गए हैं कि अगर हम केवल पृथ्वी की सतह पर रहें और जंगलों को नष्ट करें, तो हम कैसे सांस लेंगे और कैसे जीवित रहेंगे?
आज जंगल हमसे नाराज हैं क्योंकि हम पौधारोपण पर कोई ध्यान नहीं देते, बल्कि हम बेवजह पेड़ों की कटाई करते हैं, जिसके कारण वन्यजीवों और पक्षियों की बजाय हम मनुष्यों को ही जंगलों में दिखाई देते हैं।
यदि हम चाहते हैं कि ईश्वर हमसे खफा न हो, तो हमें पौधारोपण करना चाहिए, बेवजह पेड़ों की कटाई पर रोक लगानी चाहिए, और प्राकृतिक संसाधनों का सीमा में उपयोग करना चाहिए।"
Also read: Essay On Jungle Kyon Naraj Hai in Hindi
Also read: Essay On Role Of LIC In Nation Building
Also read: The Pen is Mightier Than the Sword Essay
Also read: Essay On Love Is Giving And Forgiving in English
Also read: Essay On Time Waste Is Life Waste in English
Also read: Essay On What Are The Five Habits You Can Adopt To Reduce Waste And Promote Recycling
Comments
Post a Comment