Azadi ka mahatva essay in hindi
आजादी के महत्व की कहानी हिंदी
"आजादी का अमृत महोसव.. है भारत मां के लाखों का आजादी के मतवालों का..आजाद 75 सालों का।"
प्रस्तावना
सोने की चिड़िया कहा जाने वाला हमारा देश भारत करीब 200 वर्षों तक अंग्रेजी हुकूमत का गुलाम रहा है। इन गुलामी की जंजीरों को तोड़ने में भारतवासियों को कड़ा संघर्ष करना पड़ा और 15 अगस्त सन 1947
के दिन हमारा देश भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो गया। इतनी मुश्किलों और बलिदानों से मिली हुई आजादी को हम भारतवासी प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त के दिन जश्न के रूप में मनाते हैं। यूं तो यह जश्न प्रत्येक वर्ष ही महत्वपूर्ण होता है, किंतु इस वर्ष का जश्न कुछ खास है क्योंकि हमारे देश भारत को स्वतंत्र हुए 75 साल पूरे हो चुके हैं। इस खुशी में पूरा देश आजादी का अमृत महोसव मना रहा है।
आजादी के अमृत महोत्सव की शुरुआत-
इस महोत्सव की शुरुआत भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा गुजरात के साबरमती आश्रम से 12 मार्च 2021 को दांडी यात्रा के आयोजन के रूप में हुई। प्रथम अमृत महोत्सव 15 अगस्त 2021 को मनाया गया। इस वर्ष 15 अगस्त 2022 को भी यह महोत्सव मनाया जाएगा और अगले वर्ष 15 अगस्त 2023 तक यह महोत्सव मनाया जाएगा।
आजादी के अमृत महोत्सव का उद्देश्य-
आजादी के इस महोत्सव का उद्देश्य सम्पूर्ण देश में जन अभियान चलाकर हर एक व्यक्ति को इस अभियान से जोड़कर उनमें विभिन्न तरीकों से देशभक्ति की भावनाओं को जागृत करना है। इस महोत्सव का उद्देश्य जन भागीदारी के द्वारा लोगों तक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और इस संग्राम के हर एक नायक के बारे में जानकारी का प्रसार करना है। इस महाअभियान के माध्यम से गुमनाम शहीदों की गाथाएं लोगों तक
पहुँचाई जा रही हैं। भारत ने बीते 75 सालों में क्या खोया क्या पाया इसकी जानकारी भी जन-जन तक पहुंचाना अभियान का उद्देश्य है।इस महोत्सव के दौरान आने वाले 25 सालों जिन्हें अमृत काल माना जा रहा है, उसकी रूपरेखा भी तैयार की जा रही है। कैसे मनाया जा रहा है अमृत महोत्सव-
इस महोत्सव के दौरान विकासशील देश भारत के स्वतंत्र 75 साल तथा भारत के नागरिकों, भारत की संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास को मनाया जा रहा है। विभिन्न छोटी-छोटी कड़ियों को जोड़कर यह महोत्सव मनाया जा रहा है। इसमें सभी छोटे-बड़े संस्थानों, विभिन्न विभागों, स्कूल-कॉलेजों, संस्थाओं सभी को जोड़ा गया है। सभी ने अपने-अपने स्तर पर कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की है। भारत सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम तथा प्रतियोगित। आयोजित की जा रही हैं और जन-जन को जोड़ा जा रहा है, जिससे कि भारत का हर नागरिक अपने देश और इसके इतिहास के बारे में जान सकेा इस महोत्सव के दौरान स्कूलों में, कार्यलयों में खेल, गीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पोस्टर, बैनर के माध्यम से सबको देशभक्ति के रंग में रंगा जा रहा है।
"महान है भारत देश, महान है इसकी आजादी, पाने को जिसे वीरों ने अपनी जान गवां दी!"
इसके माध्यम से आज की युवा पीढ़ी को आजादी के संघर्ष और उसके बाद की चुनौतियों को जानने का स्वर्णिम अवसर मिला है। 200 वर्षों की गुलामी के बाद एक राष्ट्र को फिर से खड़ा करना और विश्वशक्ति बनने की राह तक ले आना आसान नहीं था। युवा पीढ़ी को बीते 75 सालों की चुनौतियों और उपलब्धियों दोनों के बारे में गहराई से जानने का मौका मिला है। अतः इस महोत्सव का भारतवासियों के लिए बहुत महत्व है।
उपसंहार-
सोने की चिडिया कहे जाने वाले हमारे देश भारत का इतिहास भी स्वर्णिम है। हम भाग्यशाली हैं, जो हमें इस महोत्सव के माध्यम से इसे जानने का मौका मिल रहा है। हमें इसे गवाना नहीं चाहिए। हम सभी देशवासियों को इस अमृत महोत्सव में भागीदारी सुनिश्चित कर जनसहयोग करना चाहिए। जब जन-जन की भागीदारी होगी तभी सरकार का अभियान सफल हो पाएगा। "आजादी का अमृत महोत्सव हम सबको मिलकर मनाना है, जन-जन की भागीदारी से अभियान सफल बनाना है।"
Azadi ka mahatva essay in hindi
भारत को आजाद हुए 75 साल हो चुके हैं। आजादी के दीवानों की कहानियां आज देश का बच्चा बच्चा जानता है। आजादी के इन वीर योद्धाओं में दीवानों की तरह मंजिल पा लेने का हौसला तो था, लेकिन बर्बादियों का खौफ न था। अपने हौसलों से हर मुश्किल का सीना चीरते हुए आजादी की मंजिल की तरफ बढ़ते ही चले गये।
"न हिसाब है, न कीमत है उनकी कुर्बानियों की, सँभालकर रख सकें उनके जिगर के टुकड़े आजादी को, यही कीमत हो सकती है उनकी मेहरबानियों की।"
बात कुछ महीनों पहले की है। कोरोना महामारी के कारण पूरे देश मे एक बार फिर से लॉकडाउन लगा दिया गया था। रमेश और गीता दोनों भाई बहन का विद्यालय जाना एक बार फिर से बंद हो गया था। दोनों का ही चेहरा उतरा हुआ था। पिछले साल की तरह कहीं यह साल भी खराब ना जाए। क्योंकि दूसरे बच्चों की तरह वे अपनी पढ़ाई ऑनलाइन नहीं कर पाए थे। घर की आर्थिक स्थिति बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी। माँ और पिता जैसे तैसे मजदूरी करके बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्चा चलाते थे।
परन्तु महामारी के कारण उन्हें पिछले वर्ष से ही काम मिलने में परेशानी हो रही थी। धीरे धीरे हालात कुछ ऐसे बन गए कि रमेश और गीता को भी मजदूरी कर घर खर्च में मदद करनी पड़ गयी। घर के हालात कुछ हद तक सुधरे। स्वतन्त्रता दिवस के कुछ दिन पूर्व ही विद्यालय खोला गया। सभी बच्चे घरवालों की सहमति से विद्यालय जाने लगे।
रमेश गीता को भी बुलाया गया। परन्तु उनको विद्यालय जाकर पढ़ने से अधिक जरूरी दो वक्त की रोटी कमाना लगा। रमेश की टीचर ने घर आकर रमेश को समझाने की कोशिश की। उन्होंने कहा - रमेश कम से कम 15 अगस्त के दिन तो तुम आ ही सकते हो। क्या इस वर्ष आजादी का उत्सव नहीं मनाओगे?
रमेश ने उत्तर दिया- मैडम जी.. किस बात की आजादी.. जब देश की आम जनता इतनी गरीब और लाचार है.. इस आजाद देश में आज हम बच्चों के हाथ मे किताबों के स्थान पर मजदूरी क्यों है? मैडम की आंखों में आंसू आ गए। मैडम को असली आजादी का मतलब समझ आ चुका था। आज भले ही देश आजाद है। परन्तु देश के अधिकतर नागरिक आज भी गरीबी और लाचारी के गुलाम हैं।
मैडम ने तुरंत विद्यालय जाकर विद्यालय की कमेटी से बात की। रमेश और गीता की पढ़ाई मुफ्त कर दी गयी और उनके माता-पिता को कमेटी की तरफ से अच्छे रोजगार प्रदान किये गए। जिससे भविष्य में उन्हें आर्थिक परेशानी का सामना न करना पड़े। स्वतन्त्रता दिवस का दिन आया। रमेश और गीता तिरंगे झंडे हाथों में लिए देशभक्ति के गानों पर दोस्तों संग झूम रहे थे। मैडम दोनों को निहार रही थी।
मैडम को आजादी का जश्न मनाते हुए इतनी खुशी पहले कभी नहीं हुई थी, जितनी आज हो रही थी। हम आजाद हुए, कितना कुछ बदल गया, खुली हवा में साँस तो ले सकते हैं, जहाँ चाहे जा सकते हैं, कम से कम अपने मौलिक अधिकारों के अधिकारी तो हैं, मुँह से एक शब्द निकालना गुनाह तो नहीं है। अच्छा है हम आजाद हैं, उससे भी अच्छा होगा यदि हम दूसरों को आजाद कर सकें-गरीबी, भ्रष्टाचार, अज्ञानता और अंधविश्वास की गुलामी से। देश को जरूरत है उनकी जो दूसरों की मदद को आगे आएं।
दूसरों के जीवन में भी सुधार लाने का प्रयास करें। आखिर छोटे-छोटे प्रयासों के दम पर ही तो बड़ी सफलताएं मिलती हैं। हम बदलेंगे देश बदलेगा। आजादी एक दिन में नहीं मिली, शताब्दियां लग गयीं, इन बातों को भी समझने में वक्त लगेगा। पर हां एक ना एक दिन लोग समझेंगे जरूर-"आजादी का महत्व।"
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Azadi ka mahatva essay in hindi
स्वतंत्रता हमारे स्वतंत्रता सेनानियों का एक अनमोल उपहार है, आइए इस आजादी का अमृत महोत्सव को एक साथ मनाएं।
आजादी का अमृत महोत्सव यानी देश की आजादी के 75 साल पूरे होने का त्योहार। जैसा कि आप जानते हैं कि 15 अगस्त 1947 वह ऐतिहासिक दिन था जब हमारे देश को अंग्रेजों के शासन से आजादी मिली थी।
इस आजादी के लिए कई वीर स्वतंत्रता सेनानियों और नेताओं ने अपना बलिदान दिया था। इसलिए इस वर्ष भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है जिसे आजादी का अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है।
आजादी का अमृत महोत्सव 12 मार्च 2021 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा दांडी मार्च के 91 वर्ष पूरे होने पर शुरू किया गया था। यह महोत्सव 15 अगस्त 2023 तक चलेगा। आजादी का अमृत महोत्सव मनाने का उद्देश्य 2047 में भारत के लिए एक विजन तैयार करना है।
आजादी का अमृत महोत्सव पांच स्तंभों यानी के आधार पर मनाया जा रहा है। आजादी के लिए संघर्ष, 75 साल के विचार। 75 साल की उपलब्धियां, 75 साल की कार्रवाई और 75 साल के संकल्प।
आजादी का अमृत महोत्सव के ये स्तंभ युवा पीढ़ी को आजादी के इतिहास और संघर्ष से अवगत कराने के लिए हैं।
इसके अलावा महोत्सव। युवा पीढ़ी को 75 वर्षों में देश की उपलब्धियों, कार्यों, संकल्पों से अवगत कराना होगा ताकि यह उन्हें आगे बढ़ने और स्वतंत्र भारत के सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित करे। आजादी का अमृत महोत्सव हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और स्वतंत्रता आंदोलन को श्रद्धांजलि है।
आइए इस आजादी का अमृत महोत्सव को बड़े उत्साह और खुशी के साथ मनाएं। आइए इस अवसर पर मातृभूमि की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले देश के सभी वीर स्वतंत्रता सेनानियों और नेताओं को नमन करते हैं।
Azadi ka mahatva essay in Hindi
"आजादी का अमृत महोत्सव भारत का विषय - विश्व गुरु"
आजादी का अमृत महोत्सव प्रगतिशील स्वतंत्र भारत के 75 साल और इसके लोगों, संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास का जश्न मनाने के लिए भारत सरकार की एक पहल है।
"आज़ादी का अमृत महोत्सव" की आधिकारिक यात्रा 12 मार्च 2021 को शुरू हुई और 15 अगस्त 2023 तक जारी रहेगी।
आज मैं आजादी का अमृत महोत्सव के एक विषय के बारे में बताऊंगा। यह "भारत विश्व गुरु बनाना" है।
भरत का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। यह सदियों से दुनिया के 'विश्व गुरु' रहे हैं।
दुनिया में प्राचीन सभ्यताओं और ज्ञान केंद्रों में से एक होने के नाते, भारत ने सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक और राजनीतिक रूप से वैश्विक नेतृत्व की महिमा को जीया।
भरत वह भूमि है जहां वेद और उपनिषद लिखे गए थे, जबकि बाकी दुनिया अपनी गुफाओं में आग जलाने की कोशिश कर रही थी।
भारत की महानता, पहचान, धन, अनुभव, ज्ञान पृथ्वी पर किसी भी राष्ट्र के लिए अतुलनीय है। हम 200 साल तक मुश्किलों से गुजरे। हम उपनिवेश थे।
जबकि अंग्रेजों ने देश छोड़ दिया, उन्होंने भौगोलिक रूप से इस भूमि को दो टुकड़ों में तोड़ दिया। हालांकि, वे एक अविभाज्य राष्ट्र की भावना को नहीं तोड़ सके। आजादी के 75 साल बाद भी यह बरकरार है। हमारी संस्कृति के लिए धन्यवाद।
अब हमारे गौरव को वापस लाने का समय आ गया है। आओ हम भरत को फिर से महान बनाएं। आज भारत को एक असाधारण देश के रूप में देखा जाता है। हमारा देश आधुनिक समय की समस्याओं के नए समाधान प्रस्तुत करता है।
आइए फिर से विश्व गुरु की स्थिति को पुनः प्राप्त करें।
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THANK YOU SO MUCH
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