आत्मनिर्भर भारत और हिंदी पर निबन्ध | Atmanirbhar bharat aur hindi essay
"आत्मनिबर बनाओ खुद को
भविष्य के लिए तैयार करो
हिंदी है मातृतुल्य हमारी,
तुम इसका सम्मान करो......
हमारा भारत देश विश्व की प्राचीन संस्कृतियों में से एक रहा है और इस देश की संस्कृति , रंग-दंग देखकर हम कह सकते हैं की भारत पहले से ही काफी आत्मनिर्भर है । स्वय के हुनर से स्वयं का विकास करना ही आत्मनिर्भरता का सही मतलब है |
हर व्यक्ति यही चाहता है की वह आत्मनिर्भर बने , फिर चाहे उसके रहन- सहन से हों या उनके तौर-तरीके से हो!
एक मयित या सामे पश गुण होग? आत्मनिर्भरता आत: आत्मनिर्भर भारत बनाने के सपने को साकार परने हेतु सनी नागरिकों का देश के नीति निर्माण में सहभागी होना आवश्यक .और जनभागीदारी हेतु आवश्यक है कि सभी नागरिको को जुडाव महसूम होना चाहिए और इस जुडाव का आधार हमारी मातृभाषा हिंदी के अभावा कुछ और हमें ही नही सकता! टिंदी भाषा भारत की सबसे प्रमुख भाषाओं में से है ।
एक भाषा' के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की है बल्कि यष्ट हमारे जीवन मूल्यो . संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक , संप्रेषक और परिचायक भी है। भारत में सभी अंग्रेजी आपस में एक पहचान नहीं जानते इसलिए भारत में आपको किसी से भी बात करनी था फिर संवाद करना हो तो आपको पहले हिंदी का ज्ञान होना ही चाहिए ।
यह एक ऐसी भाषा है जिसकी मदद अपनी भावनाभी को बहुत ही सरल तरीके से व्यक्त कर सकते हैं ! से हम विसी भी देश के लिए उसके विकास में हिन्दी भाषा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भाषा देश की एकता, अखंडता तथा विकास में मध्यपूर्व भूमिका निभाती है ।
यदि राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाना है तो एक भाषा होनी चाहिए। लोगों में हिंदी भाषा के प्रति जागरवकता फैलाने की जरूरत है। बिना हिंदी के विकास किये कोई भी देश आत्मनिर्भर नहीं बन सकता है। अतः भारत को आमनिर्भर बनाने में हिंदी की अहम भूमिका है!
भारत बनेगा आत्मनिर्भर और खुशहाल , जब हिंदी भाषा का प्रयोग होगा विस्तृत और विशाल...
अपनी भाषा की होडकर अन्य भाषाओं के प्रयोग में हम आत्मनिर्भर नहीं बन सकते , आमित ही रह जाएंगे । वह उपाठेद्य ही क्या जिसका वर्णन गरने के लिए किसी और भाषा का सहारा लेना पडे। संस्कृत में अटा गया है:
भातृभाषा परिव्यय येऽन्यभाषाभुपासते तप्त थान्ति हि ते या सूर्यो न भासते ..
अर्थात जी अपनी मातृभाषा का परित्याग गरले , मिसी और भाषा की उपासना मरता है , वह अंधकार के उस गर्त में जा पहुंचता है, जहां सूर्य का प्रत्याश भी नहीं पहुंचता है।
जिस प्रकार भारत द्वारा हिंदी विकास पर बल दिया है उसी प्रकार देश को हिंदी भाषा को वह मान-सम्मान अवश्य देना चाहिए जिसकी वी आद्यकारी है।
आत्मनिर्भर भारत और हिंदी पर निबन्ध | Atmanirbhar bharat aur hindi essay
"आत्मनिर्भर भारत और हिंदी" बनेगी आत्मनिर्भर और खुशहाल भारत का आधार,
जब जन-जन की भाषा हिंदी का होगा पूर्णविस्तार।"
प्रस्तावना-
भारत की कला और संस्कृति को देखते हुए यह बात स्पष्ट होती है कि भारत प्राचीन काल से ही आत्मनिर्भर रहा है। लेकिन आजादी के बाद देश में जो परिस्थितियां बन गईं थी वे सर्वविदित हैं। उन्हीं परिस्थितियों के चलते देश बहुत सी वस्तुओं हेतु दूसरे देशों या विदेशी कंपनियों पर निर्भर है। आज पूरा विश्व कोरोना महामारी के संकट से लड़ रहा है।
कोरोना के इस महासंकट से लड़ने और देश की आंतरिक स्थिति को अच्छा करने के लिए भारत ने खुद को आत्मनिर्भर भारत बनाने का फैसला किया है। भारत काफी मात्रा मे चीजों का आयात विदेशो से करता था, पर इस महामारी के चलते सारे विश्व के आयात-निर्यात पर भारी असर पड़ा है, और इस स्थिति को सामान्य और देश की हर आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनना बहुत आवश्यक है।
आत्मनिर्भर भारत क्या है-
आत्मनिर्भर भारत बनने का तात्पर्य है कि हमारे देश को हर क्षेत्र मे खुद पर ही निर्भर होना होगा। भारत को देश मे ही हर वस्तु का निर्माण करना होगा। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है कि भारत के संसाधनों से बनी वस्तुओं को भारत मे ही उपयोग मे लाना है। आत्मनिर्भर भारत से अपने यहां के उद्योगों में सुधार करना और युवाओं के लिए रोजगार, गरीबों के लिए पर्याप्त खाना ही इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है। आत्मनिर्भर भारत प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की भारत को एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने सम्बन्धी एक दृष्टि (विजन) है।
इसका पहली बार सार्वजनिक उल्लेख उन्होने 12 मई 2020 को किया था जब वे कोरोना वायरस महामारी सम्बन्धी एक आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रहे थे। आशा की जा रही है कि यह अभियान कोविड-19 महामारी संकट से लड़ने में निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और एक आधुनिक भारत की पहचान बनेगा। इसके तहत प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की है जो देश की सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 10 प्रतिशत है।
आत्मनिर्भर भारत और हिंदी-
हिंदी सम्पूर्ण भारत देश की मातृभाषा है। भारत में हिंदी की उपयोगिता को किसी भी कीमत पर नकारा नहीं जा सकता। हिंदी का हर भारतीय के जीवन में अत्यंत महत्व है। हिंदी हर भारतीय के उज्ज्वल भविष्य का आधार है। प्राचीन काल से आज तक हिंदी ने देश को एकसूत्र में बांधा है। हिंदी राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है।
हिंदी सम्पूर्ण भारत को समृद्ध एवं आत्मनिर्भर बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है क्योंकि हिंदी देश की सर्वाधिक बोली एवं समझी जाने वाली भाषा है। वह राष्ट्र भाषा, संपर्क भाषा, बोलचाल की भाषा तथा व्यापार की भाषा है। अनेक कंपनियों ने उसकी लोकप्रियता के कारण हिंदी साइट शुरू की हैं। सभी मिलजुलकर हिंदी के उत्थान का प्रयास कर रहे हैं। इसके साथ ही आत्मनिर्भर भारत के निर्माण हेतु भारत सरकार द्वारा निरन्तर प्रयास किए जा रहे हैं।
शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग धंधों को और अधिक विकसित करने हेतु प्रयास किये जा रहे हैं। इन सब उद्देश्यों की पूर्ति तभी सम्भव है, जब भारत मातृभाषा व जन-जन की भाषा हिंदी को साथ लेकर चलेगा। बिना हिंदी के विकास के देश का विकास होना असम्भव सा है और बिना विकास किए कोई भी देश भला आत्मनिर्भर कैसे बन सकता है?
अतः भारत को आत्मनिर्भर बनाने में हिंदी की अहम भूमिका है। भारत सरकार यह अच्छे से जानती है कि बिना माँ बोली हिंदी को मान-सम्मान दिए देश के विकास और आत्मनिर्भर भारत का ढांचा खड़ा करना नामुमकिन है। अतः भारत सरकार के द्वारा युवाओं को हिंदी भाषा से सम्बंधित रोजगार दिलाने हेतु लगातार प्रयास किये जा रहे है।
भारत सरकार निवेश को प्रोत्साहित करने की रणनीति के साथ आर्थिक विकास के उच्च स्तर को प्राप्त करने के लिए देश में तेजी से आर्थिक विकास की जरूरत को पहचानती है। इसीलिए सरकार हिंदी को इतना जरूरी मानती है। ग्रामीण क्षेत्रों मे कुटीर उद्योग के द्वारा बनाए गए सामानों और उसकी आमदनी से आए पैसों से परिवार का खर्च चलाने को ही आत्मनिर्भरता कहा जाता है।
कुटीर उद्योग या घर मे बनाए गए सामानों को अपने आस-पास के बाजारों मे ही बेचा जाता है, यदि किसी की समाग्री अच्छी गुणवत्ता का हो तो, अन्य जगहों पर भी इसकी मांग होती है। हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसे देश के हर कोने का व्यक्ति अच्छे से बोलता और समझता है।
अतः हिंदी ऐसे छोटे-छोटे उद्योगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कुटीर उद्योग सामाग्री, मत्स्य पालन इत्यादि आत्मनिर्भर भारत के कुछ उदाहरण है। इस प्रकार से हम अपने परिवार से गांव, गांव से जिला, एक दूसरे से जोड़कर देखे तो इस प्रकार हिंदी पूरे राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने में अपना योगदान देती है। इस तरह से हम भारत को आत्मनिर्भर भारत के रुप मे देख सकते है।
निष्कर्ष-
हमारी हिंदी एक समृद्ध भाषा है लेकिन हम ही इतने संकीर्ण हो गए हैं कि अंग्रेजी को बोलना सम्मान की बात समझने लगे हैं। आज हम भारतवासियों को हिंदी दिवस मनाने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है? भारत एक हिंदी भाषी देश, जिसकी मातृभाषा हिंदी है, ऐसे देश में हर दिन हिंदी दिवस होना चाहिए। जिस प्रकार सरकार द्वारा हिंदी के विकास पर बल दिया जा रहा है। निश्चित रूप से हिंदी आत्मनिर्भर भारत की मजबूत नींव बनेगी और भारत देश को विश्वगुरु का खिताब दिलाएगी।
"आत्मनिर्भर भारत की मजबूत नींव कहलाएगी, हिंदी...भारत को विश्वगुरु का खिताब दिलाएगी।"
आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश में हिन्दी की भूमिका
" हिन्दी व आत्मनिर्भर होना अपनी पहचान इसी से बटेगी मध्य प्रदेश की शान"
प्रस्तावना :
जैसा हम सभी जानते है कि जिस मात्मनिर मध्यप्देश का स्वप्न हमने देखा है उसका मूल तत्व है अपने समाज, अपनी संस्कृति अपने ज्ञान एवं अपनी दक्षता के मूल्य को समझकर उन पर आत्माविश्वास विकसित करना । मह आत्म विश्वास अपनी हिन्दी भाषा से सतत पुडाव से हमेशा मिलता रहता। जो नागरिक उम्पनी आत्म भाषा से जुड़ा होगा वही अपने समाज मे प्रचलित लोक ज्ञान को जानेगा।
आत्मनिर्भर का अर्थ:
आत्मनिर्भर (Self Reignt) एक शब्द है जिसका हिन्दी में अर्थ होता है कि दूसरो पर कम निर्भरता रखना भा दूसरो पर निर्भर नहीना आत्मनिर्भर भारत मूल रूप से भारत मे कोरोना महामारी के समम तैयार किया गया एक शब्द है। इस शब्द पर हमारे माननीय प्रानमंत्री श्री नरेंद्र जी की झाष्ट है कि हमारे देश मेही सभी जरूरी वस्तुओ का उत्पादन शुरू करते और भारतवासियों को आत्मनिर्भर बनाना है।
आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश में हिन्दी का भोगदान:
देश को आत्मानिर्भर बनाना है तो हर राज्य को आत्मनिर्भर बनाना होगा और राज्य को आत्मनिर्भर बनाना है तो राज्य के हर जिले को आत्मनिर्भर होगा इसलिए भाद मध्यप्रदेश सरकार हर जिले की विकास दर मै उसे ५ प्रतिशत भी इजाफा कर दे तो इससे हमारे राज्य की विकास दूर में इजाफा होगा। महमप्रदेश प्राकृतिक संसाधनो मे समृट्ट राज्य है। सभी क्षेत्रों के विकास के लिए इन संसाधनो का उपयोग योजनापट्स तरीके से भारत करना होगा।
"आओ सनी मिलकर करे में प्रण मध्यप्देश को बनाए विकसित हिन्दी के सा संग"
मध्यप्तदेश विकसित प्रदेश बनने की दहलीज पर खड़ा है। स्वावलंबन को ध्यान में रखते हुए कृषि क्षेत्र में भंडारण, प्रसंस्करण, स्टैंड-अप , नकदी रहित लेन-देन प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, ई-गवर्नेस जैसी दूरदर्शितापूर्ण सुसंगत प्रगतिशील पहल की जा रही हैं। महमप्रदेश की विशाल सीमार और सामाजिक-सांस्कृतिक विविधाएँ, विकास की आपार संभावनार प्रदान करती है।
मध्यप्रदेश के विकास में हिन्दी की भूमिका
किसी भी राज्य के लिए उसके विकास में हिन्दी भाषा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भाषा राज्य की एकता, अखंडता तथा विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि राष्ट्र को आत्मनिर्भर सशक्त बनाना है तो एक भाषा होना चाहिस्साहर मातृभाषा एवं स्थानीय भाषा अपने साथ एक विशेष जान स्त्रोत लिए रहती मूल्य है। आत्मनिर्भर राम बनने का मूल तत्व है अपनी राजभाषा का प्रसार-प्रचार करना।
निष्कर्ष:-
आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश अभिमान के समझ अनेक चुनौतियों के होने के बाद , भारत को औद्योगिक क्षेत्र में मजबूती के लिए उन उद्यमो में निवेश करने की आपश्यकता है जिनमे भारत के वैश्विक ताकत के रूप में उभरने की संभावना है। लोगो को हिन्दी भाषा के प्रति जागरूकता फैलाने की आपश्यकता हैन ताकि वे राज्म से जुड़ी समस्याओं का समाधान कर सके तथा बेहतर भारत का निर्माण करने में मोगदान दे सके। जीवन अनुभव,
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THANK YOU SO MUCH
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