स्वाधीनता के 75 वर्ष और भविष्य की चुनौतियाँ | आज़ादी के 75 वर्ष और भविष्य की चुनौतियां
“स्वाधीनता के 75 वर्ष और भविष्य की चुनौतियाँ"
स्वाधीनता के 75 वर्ष भारत कुछ इस तरह मनाता,
सहेजे अपनी उपलब्धियां...हर चुनौती से लड़ जाता।"
प्रस्तावना - हजारों सूर्यों से अधिक तेजस्वी हमारे देश भारत 'को स्वाचीन अर्थात स्वतन्त्र हुए 75 साल पूरे होने को हैं। इस वर्ष5 अगस्त 202। को देश आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। सम्पूर्ण देश में आजादी का अमृत महोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है।
सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत को अंग्रेजों ने 200 वर्षों तक ऐसा लूटा कि देश को वापिस उभरने में 75 वर्षो का लंबा समय लग गया। इसीलिए भारत इन 75 वर्षों को एक महोत्सव के रूप में मना रहा है।
आजादी का अमृत महोत्सव-
आजादी के 75 साल का ये जश्न गत 2 मार्च 2027 से शुरू हो चुका है जो 75 सप्ताह तक चलेगा। 5 अगस्त 2023, 78वें स्वतंत्रता दिवस पर अमृत महोत्सव का समापन होगा। आने वाले 25 वर्ष
देश के लिए अमृत काल हैं। इस अमृत काल में हमारे संकल्यों की सिद्धि, हमें आजादी के सौ वर्ष तक ले जाएगी। अमृत काल का लक्ष्य है एक ऐसे भारत का निर्माण जहां दुनिया का हर आधुनिक बुनियादी ढांचा हो।
स्वाधीनता के 75 वर्ष:-
यह 75 वर्षो का सफर जरा भी आसान ना था। अगस्त 947 को हम आजाद तो हो गए लेकिन यह आजादी विभाजन के साथ आई। भारत की जमीन से नया देश पाकिस्तान अस्तित्व में आया
देश के पूर्वी और पश्चिमी हिस्से में बने इस नए देश की वजह से भारत को अपना एक बड़ा भूभाग और लोगों को खोना घड़ा। इसके बाद कश्मीर और अक्साई चिन में हमें अपनी जमीन खोनी पड़ी। कई राज्यों में अलगाववादी ताकतों, जक्सलवाद, आतंकवाद की चुनौती से निपटते और सीमा
घर चीन एवं पाकिस्तान से लड़ते हुए भारत ने देश की संप्रभुता पर आंच नहीं आने दी है। आंतरिक चुनौतियों एवं सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कुटिल चालों को नाकाम करते हुए भारत ने अपनी अनेकता में एकता की खासियत
एवं धर्मनिरपेक्षता की भावना बरकरार रखी है। इन 75 वर्षो में विज्ञान, तकनीक, कृषि, साहित्य, खेल आदि सभी क्षेत्रों में देश ने अपना 'तिरंगा' लहराया है। जम्मू कश्मीर से धारा 370 का हटना इन 75 वर्षों की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
भविष्य की चुनौतियांते :-
75 वर्षो में भले ही भारत ने बड़े-बड़े कीर्तिमान हासिल किए हों। परन्तु अभी भी देश के सामने बहुत सी चुनौतियाँ खड़ी हैं। देश में फैली बेरोजगारी
गरीबी, निरक्षरता, कुपोषण, क्षेत्रवाद; भाषावाद; लिंगभेद जैसी राष्ट्रीय समस्याएं चिंता का विषय हैं। सरकार को अभी इन सब विषयों पर और अधिक ध्यान केंद्रित करना होगा। महामारी के कठिन समय में 30 करोड़ से अधिक भारतीयों का टीकाकरण एक चुनौती से कम नहीं है। भारत को अगले साल कोविड वैक्सीन के वितरण के लिए लगभग 80,000 करोड़ रुपये के बड़े फंड की आवश्यकता होगी।
महामारी के दौरान तथा बाद में रोजगार सृजन का मुद्दा भी एक महत्वपूर्ण चुनौती बना रहेगा।
असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 40 करोड़ से अधिक कामगारों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराना, मौजूदा योजनाओं को नये स्वरूप में ढालना और नई नियुक्तियों में तेजी लाना जैसे कुछ मुद्दे हैं जो आने वाले वर्षों में चुनौती बनकर खड़े होंगे।
'कोरोना महामारी के बाद से ही यह उम्मीद जतायी जा रही है कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत का योगदान बढ़ेगा। किंतु इस पर कोई उत्साहजनक विकास अभी तक नहीं दिखा है। उम्मीद है कि आने वाले समय में विनिर्माण का अच्छा खासा हिस्सा चीन से भारत का रुख करेगा।
हालांकि, देश के विनिर्माण तंत्र को मजबूत किए जाने की जरूरत है। आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत सरकार ने कई उपाए किए हैं ताकि अर्थव्यवस्था को दुरुस्त और भारत
की विनिर्माण प्रतिस्पर्धा को सुधारने के लिए कदम उठाये जासके।
नये साल में बैंकों के सामने फंसे कर्ज की समस्या से निपटना भी एक मुख्य चुनौती होगी। आरबीआई ने अपने हालिया रिपोर्ट में कहा है कि देश की अर्थव्यवस्थ्रा। विभिन्न
अनुमानों की तुलना में तेजी से कोविड-9 महामारी के दुष्प्रभाव से बाहर आ रही है और आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में ही सकारात्मक दायरे
में आ जाएगी। कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित भारतीय अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आयी। वहीं दूसरी तिमाही में गिरावट कम होकर 7.5 प्रतिशत रही।
उपसंहार-
आने वाला अमृत काल 25 वर्ष का है, जो चुनौतियों से भरा है। लेकिन हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये इतना लम्बा इंतजार भी नहीं करना है। सबका साथ; सबका विकास, सबका विश्वास और अब सबका प्रयास हमारे हर लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। हमें हर मुश्किल का सामना करते हुए देश को विश्षगुरु की मंजिल 'तक लेकर जाना है।
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