आज के संदर्भ में गांधी की प्रासंगिकता पर भाषण | Speech on the relevance of Gandhi in today's context
आज के संदर्भ में गांधी की प्रासंगिकता पर भाषण यहाँ उपस्थित सभी माननीयौं , आदरणीय प्रधानाध्यापक , शिक्षकाण और मेरे मारे मिती आप सभी को सु का नमस्कार ! जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हम सब यहाँ एक बहुत प्याश उत्सव मनाने जुटे है जो गांधी जयंती कहलाता है । इस अवसर पर मैं आप आप सभी को महात्मा गांधी जी पर जोकि हमारे राष्ट्रपिता उनके बारे में दो शब्द बतलाना चाहती हूँ। युगपुरुष महात्मा गांधी जी ने जिनका जन्म 2 अक्टूबर हुआ था . उन्ने अपने विचारों से न केवल भारत में आजादी दिपायी बल्कि समाण में अनेक सुधार भी किए, उनके विचार देश - काल में सीमित न होकर सीमाओं से परे है। में स्वदेशी को प्राथमिकता देते थै, उनका मानना था मि स्वदेशी से हमारा देश आनिर्भर बन सकता है। वर्तमान अस्थिरता के और में जहाँ एक ओर कोषि-19 जैसी महामारी लोगों की हताश और बहाल लिए हैं अंधी दूसरी और इसके आर्थिक परिणाम भी लोगों को भीवष्य के लिए आशंकित लिए 1 आज संपूर्ण विश्व बाजारवाद के दौड में शामिल हो चुका | लालच की परिकाति यह की सीमा ताल पषी जाती है। ऐसे में गांधीवाद की प्रासंगिकता पहले से पष्टी अधिक हो जाती है । घृणा को भी प्